Header Ads

नई शिक्षा नीति 2020 में कहाँ कमी रह गयी ?

नई शिक्षा नीति 2020

New Education Policy 2020

  आप सब ने नई शिक्षा नीति 2020 के बारे में काफी कुछ सुन लिया होगा | और उम्मीद है कि आपने इसकी खूबियों और कमियों को भी भली भाँति जान लिया होगा | आज में इस पोस्ट के द्वारा उन छात्रों की आवाज उठाना चाहता हूँ जो पढ़ाई में कमजोर होने के कारणवश 12 वी पास भी नहीं कर पाते जिसका जिक्र इस नई शिक्षा नीति में नहीं किया गया है | अगर आप मेरे विचारो से सहमत हो तो इस पोस्ट को इतना सपोर्ट करना की ये पोस्ट हमारे शिक्षा मंत्री माननीय श्री रमेश पोखरियाल निशंक जी तक पहुंच सके |


इस लेख में हमारा फोकस उन बच्चो पर है जो किसी क्लास में फ़ैल होने के बाद या तो पढाई छोड़ देते हैं या फिर कोई और काम करके अपना भविष्य बर्बात करते हैं | ऐसे बच्चो को सरकार कैसे आगे बढ़ा सकती  है इसपर हमने अपने विचार रखने का प्रयास किया है | अब हम सीधे मुख्य बिंदु पर बात करते है जो इस प्रकार हैं -
 

पहला - एक ही कक्षा में बच्चे को एक से ज्यादा बार अनुत्तीर्ण न किया जाए |

अगर आप सोच रहे कि ऐसा करने से बच्चा फ़ैल होने के बाद दूसरे साल भी नहीं पड़ेगा तो निश्चित रूप से इसमें बच्चे की ही गलती है इसका मतलब उसपे एक बार फ़ैल होने का कोई असर नही पड़ा है | लेकिन एक ही कक्षा में बच्चे को दो बार फ़ैल करने का कोई फायदा नहीं बच्चे को अगर सम्भलना होता तो वो एक बार फ़ैल होने के बाद भी संभल सकता है ऐसा भी हो सकता है कि उसकी रुचि पढाई से ज्यादा किसी और क्षेत्र में हो |

मैं उम्मीद करता हूँ कि प्रत्येक बच्चा फ़ैल होने के बाद इस सोच के साथ पढेगा कि उसे अपने ऊपर उठाये हर सवाल का जवाब देने का मौका मिल रहा है और उसे इस बार सिर्फ पास होने लिए नहीं पढ़ना है बल्कि अच्छे अंक भी प्राप्त करने हैं |

अक्सर जो बच्चे फ़ैल हो जाते है उन सभी के दिमाग में तीन विकल्प अवश्य आते है, पहला आत्महत्या दूसरा पढाई छोड़ देना तीसरा पढाई जारी रखना | लगभग 90 % बच्चे एक बार फ़ैल होने के बाद उनका अपने ऊपर से विश्वास उठ जाता है और उन्हें दूसरी बार भी फ़ैल होने का डर बना रहता है |

फ़ैल होने के बाद वे खुद को हर बच्चे से कमजोर समझने लगते हैं और उनकी मानसिक स्तिथि वहां पहुंच जाती है कि वे पास होने के सपने देखने लगते हैं | उन्हे यह सोच के भी बेज्ज़ती महसूस होती है कि उन्हे अपने से एक क्लास कम के बच्चो के साथ पढ़ना पड़ेगा |

यहाँ तक की वो उस क्षेत्र में भी काम नहीं कर पाते जिसमे उनकी रूचि के साथ प्रतिभा का भी कोई जवाब नहीं है | लेकिन हमारे समाज में पढाई के अलावा किसी भी क्षेत्र में आपकी प्रतिभा को अनदेखा किया जाता है | फ़ैल होने के बाद उन बच्चो को सुनाया जाता है कि कम्पटीशन के इस ज़माने में जहाँ अब लोग 70 - 80 % वाले को न पूछकर सिर्फ 90 % से ऊपर वाले को ही पूछते हैं वहां तुम्हारे लिए पास होना भी हिमालय पर चढ़ने के बराबर है | क्या करोगे तुम अपनी जिंदगी में जब एक पेपर भी तुमसे नहीं निकाला जाता |

सच में एक कमजोर स्टूडेंट पढाई तो करना चाहता है पर कर नहीं पाता ,पढाई में मन लगाना तो चाहता है पर लगा नहीं पाता जिसके कारण वह फ़ैल हो जाता है | और कभी कभी जिंदगी में ऐसे कदम उठा लेता हैं जो उसी की जिंदगी को समाप्त कर देता है | हमें ऐसे बच्चो को सही रास्ता दिखाना  है , उनको उनकी काबिलियत से रूबरू कराना है क्योकि कभी ऐसे बच्चे भी वो काम कर देते हैं जो हर कोई नहीं कर पाता है | इस नीति के लागू होने के बाद ये बच्चे भी दूसरे बच्चो की तरह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ पायेंगे |

दूसरा - पुरे शिक्षण काल में अनुत्तीर्ण की सीमा निश्चित हो |


 
एक स्टूडेंट अपने शिक्षण काल में कितनी बार फ़ैल हो सकता है इसकी सीमा भी सरकार को निश्चित कर लेनी चाहिए ताकि बच्चा पढाई में हद से ज्यादा कमजोर होने के बावजूद भी उसे अपनी पढाई पूरी करने में ज्यादा समय न लगे | अगर पहली नीति के हिसाब से  वो हर कक्षा में पास होने के लिए दो साल भी लगाता है तो फिर भी उसे अपनी पढ़ाई पूरी करने में काफी समय लग सकता है |

जिसके कारण उसे किसी और क्षेत्र में भी अपना भविष्य बनाने के लिए कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है | शायद हो सकता है कि उस क्षेत्र में उसकी आयु सीमा ही समाप्त हो जाए | पढाई में कमजोर स्टूडेंट तो हर क्लास व हर स्कूल में आपको मिलेंगे जिनपर हमें ध्यान देने की जरूरत है | आर्थिक रूप से कमजोर लोगो की परेशानियां तो हमें दिखती है पर मानसिक रूप से कमजोर लोगो  को अक्सर हम समझ नहीं पाते |

कई लोग तो सोच रहे होंगे कि आखिर मैं इस फ़ैल नाम के शब्द को पूरी तरह से हटाने की बात क्यों नहीं कर रहा हूँ | लेकिन ऐसा नहीं हो सकता क्योकि असफलता का भी जिंदगी में अपना महत्व है | वैसे भी हो सकता है कि ऐसा करने से स्टूडेंट की सोच पर बुरा प्रभाव पड़े क्योकि एक होशियार बच्चा तो फर्स्ट आने के लिए तो पड़ेगा ही पर क्या एक कमजोर स्टूडेंट यह नीति लागू होने के बाद पढ़ पायेगा ?

इस सवाल का जवाब देना थोड़ा मुश्किल है | जो भी हो अनुत्तीर्ण नाम का शब्द स्टूडेंट के जीवन से नहीं हटाया जाना चाहिए परन्तु सरकार को इसकी सीमा जरूर निर्धारित कर लेनी चाहिए |

जीवन में असफलता सीख बनकर आपकी जिंदगी संवार लेती है लेकिन कभी - कभी असफलता तीर के भाँति सीने में चुभकर आपकी वही जिंदगी समाप्त भी कर देती है |

तीसरा - 12 वी पास क़ानूनी रूप से अनिवार्य हो |



मेरा ये तीसरा सुझाव थोड़ा कठिन होगा क्योकि इसे लागू करने में कई परेशानियां सामने आ सकती है | लेकिन जिस तरह 18 वर्ष से कम आयु के बच्चो से काम कराना अपराध है ठीक उसी प्रकार 12 वी  पास न करने वाले बच्चो से भी काम करवाना गैरकानूनी होना चाहिए |

जिस तरह शादी करने के लिए लड़कियों को 18 वर्ष और लड़को के लिए 21 वर्ष तय किया गया उसी तरह क्या इसमें 12 वी पास भी अनिवार्य नहीं करना चाहिए ?

क्या शिक्षा का कोई महत्व नहीं है ?

क्या रोजगार व घर बसाने के लिए सिर्फ आपकी उम्र मायने रखती है शिक्षा नहीं ?

आप रोजगार व शादी करने के लायक हैं या नहीं क्या इसका निर्णय सिर्फ आपकी उम्र ही कर सकती है शिक्षा नहीं ?

अगर सरकार अनुत्तीर्ण होने की सीमा तय कर देती है तो  हर नागरिक आसानी से 12 वी पास कर सकता है | हमारे समाज में आज भी कई लड़कियों की शादियाँ 12 वी पास से पहले हो जाती है | जिनमे से कुछ तो 18 वर्ष पूर्ण कर चुकी होती लेकिन कुछ 18 वर्ष से भी कम आयु की होती हैं |

और कई ऐसे भी लड़के होते जो 18 वर्ष की आयु तो पूरा कर लेते हैं लेकिन अपनी 12 वी तक की पढाई पूरा किए बिना रोजगार करने के लिए घर से निकल जाते हैं | इसके लिए सरकार को भी कड़े कानून बनाने होंगे और सर्व शिक्षा अभियान का 8 वी से बढाकर 12 वी तक का विस्तार करना पड़ेगा तभी यह सब सम्भव हो पायेगा |

अगर आप मेरे विचारों से सहमत हो तो इस पोस्ट को जरूर शेयर करना क्योकि अब बात देश की अपनी शिक्षा नीति की है तो यह हम सब की जिम्मेदारी बन जाती है कि हमारी शिक्षा नीति विश्व की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा नीति बने क्योकि शिक्षा ही वह हथियार है जिसके द्वारा किसी भी देश को गरीबी , बेरोजगारी और भुखमरी में मुक्त किया जा सकता है |

👉👉👉ऐसे और ब्लॉग पढने के लिए इस लिंक पर क्लिक करो- https://nicethinkxyz.blogspot.com/
 
 

No comments

Powered by Blogger.