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राजू और रिया की कहानी (part-2)

BEST STORY 2020

 


अब राजू रिया के साथ रोज स्कूल जाने लगा पर राजू ने तो यहाँ भी बच्चो से पैसे माँगने शुरू कर दिया | राजू कभी किसी बच्चे का सामान कैन्टीन से लाने का पैसा लेता तो कभी किसी से लड़ाई करने का तो कभी किसी की स्पोर्ट टीम में हिस्सा लेने का भी बच्चो से पैसा लेता था | 

शुरुआत में तो जब टीचर राजू से प्रश्न पूछती तो राजू उसका उत्तर बताने के लिए भी टीचर से पैसे माँगता था जिसपर टीचर के साथ बच्चो को भी हँसी आ जाती थी | टीचर को लगता की राजू मजाक कर रहा है लेकिन जब ये बात रिया को पता चली तो उसे बहुत बुरा लगा उसने राजू को बहुत समझाया पर राजू नहीं माना | 

रिया राजू को हमेशा कहती थी कि इंसान को पैसे अपनी मेहनत से कमाने चाहिए ना की मांग कर पर इसी बात से राजू को सबसे ज्यादा नफरत थी क्योकि बचपन से अक्सर यही बात उससे कई लोग कह चुके थे | राजू को जो मिल रहा था उसे वो आज तक समझ ही नहीं पाया शायद कोई भिखारी इतना कुछ पाने का सपना ही देख सकता है | 

एक दिन एक लड़के ने राजू को अपना सामान लाने के लिए कुछ पैसे दिए लेकिन राजू ने ना तो सामान ना ही उसके पैसे वापिस किये | दोनों के बीच लड़ाई भी हुई यह पहली बार था जब राजू ने ऐसा किया हो इसलिए टीचर ने भी उसे माफ़ भी कर दिया | 

फिर एक दिन रिया ने राजू को अपना बैग सम्भालने को दिया तो राजू ने इस बार रिया के भी पैसे चुरा लिए | राजू पहले सिर्फ पैसे माँगता था अब वह चोरी के साथ बच्चो के पैसे जबरदस्ती लड़ाई करके भी छीनने लगा | रिया राजू की हर गलती अनदेखी कर देती थी क्योकि उसे पूरा यकिन था कि एक दिन राजू को अपनी गलती का अहसास जरूर होगा | 

रिया जानती थी की राजू की असली समस्या उसे बचपन में सही पारिवारिक शिक्षा का नहीं मिल पाना है जिसे दूर करने में कुछ समय तो लगेगा ही | इतनी कमियों के बावजूद रिया राजू को बहुत पसन्द करती थी | रिया हमेशा राजू का ख्याल रखती और उसकी गलती पर पर्दा डालने के साथ उसे अच्छा रास्ता दिखाने का प्रयास भी करती थी | 

परन्तु इस सब का राजू पर कोई असर नहीं पड़ता उसे रिया से कोई खास लगाव नहीं था | उसके लिए रिया सिर्फ एक पैसे देने वाली मशीन की तरह थी जब उसे कही से पैसे नहीं मिलते तभी रिया के पास आता वरना अब रिया से ज्यादा बाते करना भी उसे पसंद नहीं था | 

एक दिन रिया स्कूल नहीं आई ये पहली बार था जब रिया स्कूल नहीं आई हो और राजू को रिया के स्कूल नहीं आने के बारे में कुछ पता ही नहीं चला हो | दूसरे दिन भी ऐसा ही हुआ राजू को रिया की खबर है ही नहीं, तीसरे दिन राजू को कुछ पल के लिए अहसास हुआ कि आज रिया नहीं आई है पर उसके बाद फिर वह अपने दोस्तों साथ मस्त हो गया | 

एक के बाद एक दिन बीतता गया और दस दिन के बाद राजू को लगा कि कोई तो बात है रिया काफी दिनो से दिखाई नहीं दी | राजू ने उसके दोस्तों से पूछा लेकिन किसी को कुछ पता नहीं था | राजू अब बहुत परेशान हो गया उसने रिया के घर जाने का फैसला किया | 

कल सुबह जब राजू रिया के घर पहुँचा तो उसके हौश उड़ गये उसने देखा रिया के पापा सोफा पर बैठे थे उनके हाथो में रिया की फोटो थी और आँखों में आंसू थे | राजू रिया के घर में बहुत दिनों के बाद आया था लेकिन रिया का घर अब भी बिलकुल वैसा ही था जैसे की पहले दिखता था | 

राजू को ऐसा लग रहा था कि उस घर की हर खूबसूरत वस्तु जैसे रिया के बारे में उससे कुछ कहना चाहती हो | राजू रिया के पापा के सामने खड़ा था लेकिन रिया के पापा ने अभी राजू को नहीं देखा | कुछ देर बाद राजू के मुँह से सिसकते हुए आवाज आई "अंकल रिया" इतना कहते ही उसके गले में जैसे आगे का शब्द कही अटक गया हो | 

उसने फिर से कहने की कोशिश की लेकिन इस बार भी वो आगे नहीं कह सका, अंत में उसके मुँह से थोड़ी सी आवाज आ ही गई और उसने कहा "अंकल रिया कहाँ है ?" रिया के पापा कुछ देर तक मौन रहने के बाद उन्होंने कहा रिया कुछ लोगो की मदद करने के लिए कही जा रखी है पर वह अब कभी वापिस नहीं आएगी | 

रिया पिछले आठ सालो से कैंसर से लड़ रही थी फिर भी वह हर किसी के दुःख-दर्द को बाटने की कोशिश में लगी थी लेकिन उसने अपना दुःख बाटना तो दूर किसी को बताना भी सही नहीं समझा | रिया अब इस दुनिया में नहीं रही इतना कहकर उसके पापा जोर-जोर से रोने लगे |   

 

थोड़ी देर बाद रिया के पापा ने खुद को सम्भालते हुए कहा मै तुम्हारे ही पास आने वाला था मुझे रिया की अंतिम इच्छा भी पूरी करनी है मैंने आज तक उसकी एक भी इच्छा अधूरी नहीं रहने दी | इतना सुनकर राजू को भी रोना आ गया उसे तो ये भी याद नहीं कि वो आखिरी बार कब रोया था | 

राजू ने रोते हुए रिया के पापा से पूछा रिया की अंतिम इच्छा क्या है वो भी उसे पूरा करने में आपकी मदद करेगा | रिया के पापा कहते है कि वो अंतिम इच्छा बिना तुम्हारे पूरी हो भी नहीं सकती, रिया ने मरने से पहले कहा था कि मैं अपनी सारी जमीन-जायदाद तुम्हारे नाम कर दूँ | 

इस बार राजू की आँखों से आँसूओ की गंगा बहने लगी वह अपने को नहीं सम्भाल पाया और बिना कुछ कहे वहाँ से चला आया और अपनी माँ के पास जाकर वह माँ की गोद में सोकर रोने लगा | बेटे को रोता देखकर माँ की आँखों में भी आँसू आ गये और अपने बेटे से पूछने लगी जिस बेटे को मैंने बिना चप्पल के चलना सिखाया, कड़ी धूप में तपना सिखाया और बिना सहारे के उठना सिखाया आज मेरा वही बेटा जिंदगी की किस परेशानी से हारकर आँसू बहा रहा है | 

राजू, माँ तुमने मुझे बहुत कुछ सिखाया पर मैं भीख माँगने के सिवा कुछ भी नहीं सीखा, मैं तो लोगो की भावनाओ को भी नहीं समझ पाया | माँ तुमने मुझे लोगो की भावनाओ को, उनके दर्द को और उनके प्यार को समझना क्यों नहीं सिखाया | इतना कहकर राजू चुप तो हो गया लेकिन उसकी आँखों में आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे | 

राजू ने उस दिन कुछ नहीं खाया | दिन बीतते गए राजू अब बहुत कमजोर हो गया था और उसे अब कुछ बुखार भी था | उसकी माँ उसके मुँह में जो भी डालती वह गले से नीचे नहीं जा पाता राजू की हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी | एक दिन रिया के पापा राजू के पास कुछ कागज लेकर आये उन्होंने देखा राजू एक रेलवे प्लेटफॉर्म में जमीन पर एक कम्बल के ऊपर लेटा था | 

राजू के एक तरफ उसकी माँ बैठी रो रही थी तो दूसरी तरफ उसके बाप भी रोये जा रहे थे | राजू ना तो उठ पा रहा था ना ही कुछ बोल पा रहा था फिर भी उसे थोड़ा बहुत सुनाई दे रहा था | रिया के पापा ने उन कागजों पर राजू का अँगूठा लगाया और कहा मैं तुम्हारा ईलाज कराऊंगा तुम जल्दी ठीक हो जाओगे | 

लेकिन राजू को रिया की पापा की आवाज नहीं सुनाई दी क्योंकि राजू जिस प्लेटफॉर्म पर लेटा था वहाँ बहुत भीड़ थी चारों तरफ शोर ही शोर था लेकिन थोड़ी देर बाद राजू को लगा की जैसे सब शांत हो गये हो, जैसे सबकी नजर सिर्फ उसी पर हो, उसकी आँखे बंद थी उसे लगा कि जैसे सारी ट्रेनों ने भी अब चलना बंद कर दिया हो | 

जैसे यात्रियों को सूचना देनी वाली आवाज भी बंद हो गई हो, जैसे हवाये भी अब रुक गई हो, सूरज जैसे अब ढल चुका हो ऐसा लग रहा था कि ये पूरी पृथ्वी मानो थम सी गई हो और फिर उसके आँखों के सामने रिया का चेहरा आता है जैसे वो राजू को अपने साथ चलने के लिए बुला रही हो | 

 

 

थोड़ी देर बाद राजू को अहसास हुआ कि वह अब रिया की गोद में सोया है उसे बहुत नींद आ रही थी | राजू अब इस दुनियाँ में नहीं रहा वह अब सच में हमेशा के लिए सो चुका था | इस तरह राजू की जिंदगी का ये हसीन सफर समाप्त हो जाता है | 

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